का अधिकार: power of sanction का presumably belonging to
अधिकार: seizure title option interest call authorization
उदाहरण वाक्य
1.
हमारे पास भारतीय दंड संहिता की धारा १ ० २ के अधीन प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार है.
2.
97. शरीर तथा संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार-धारा 99 में अंतर्वि ष् ट निर्बन्धनों के अध्यधीन, हर व्यक्ति को अधिकार है कि, वह-
3.
संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार रात्रौ गॄह-भेदन के विरुद्ध तब तक बना रहता है, जब तक ऐसे गॄहभेदन से आरंभ हुआ गॄह-अतिचार होता रहता है ।
4.
105. सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना-सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार तब प्रारंभ होता है, जब सम्पत्ति के संकट की युक्तियुक्त आशंका प्रारंभ होती है ।
5.
संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार, चोरी के विरुद्ध अपराधी के संपत्ति सहित पहुंच से बाहर हो जाने तक अथवा या तो लोक प्राधिकारियों की सहायता अभिप्राप्त कर लेने या संपत्ति प्रत्युद्धॄत हो जाने तक बना रहता है ।
6.
चुनाव द्वारा भी इनमें कोई परिवर्तन सम्भव नहीं | मुसलमान काफिरों की हत्या करने से स्वर्ग पाएंगे | हमारे पास भारतीय दंड संहिता की धारा १ ० २ के अंतर्गत प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार है | आइये प्रण करें कि हम धरती पर इस्लाम को नहीं रहने देंगे |
7.
यद्यपि भारतीय संविधान-षडयंत्र के अधीन-इन हत्यारी व लुटेरी संस्कृतियों को, अनुच्छेद 29 (1) के अधीन, बनाए रखने का हर मुसलमान व हर ईसाई को असीमित मौलिक अधिकार देता है, तथापि प्रत्येक गैर मुसलमान व गैर ईसाई को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 102 व 105 के अधीन प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार है।
8.
संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार लूट के विरुद्ध तब तक बना रहता है, जब तक अपराधी किसी व्यक्ति की मॄत्यु या उपहाति, या सदो ष अवरोध कारित करता रहता या कारित करने का प्रयत्न करता रहता है, अथवा जब तक तत्काल मॄत्यु का, या तत्काल उपहति का, या तत्काल वैयक्तिक अवरोध का, भय बना रहता है ।
9.
102. शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना-शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार उसी क्षण प्रारंभ हो जाता है, जब अपराध करने के प्रयत्न या धमकी से शरीर के संकट की युक्तियुक्त आशंका पैदा होती है, चाहे वह अपराध न किया गया हो, और वह तब तक बना रहता है जब तक शरीर के संकट की ऐसी आशंका बनी रहती है ।
10.
106. घातक हमले के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार जब कि निर्दो ष व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम है-जिस हमले से मॄत्यु की आशंका युक्तियुक्त रूप से कारित होती है उसके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रयोग करने में यदि प्रतिरक्षक ऐसी स्थिति में हो कि निर्दो ष व्यक्ति की अपहानि की जोखिम के बिना वह उस अधिकार का प्रयोग कार्यसाधक रूप से न कर सकता हो तो उसके प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार वह जोखिम उठाने तक का है ।